सीतामढ़ी जिले में 34 पंचायतों को ‘टीवी मुक्त पंचायत’ घोषित करने का अभियान

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परिचय
सीतामढ़ी जिला, जो बिहार राज्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, अब स्वास्थ्य क्षेत्र में एक नई पहल करने जा रहा है। यहां के जिला यक्ष्मा पदाधिकारी, डॉ. जेड जावेद की अध्यक्षता में, 2024 के अंतर्गत जिले के कुल 34 पंचायतों को ‘टीवी मुक्त पंचायत’ घोषित किया जाएगा। यह कदम उस दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है जहां स्वास्थ्य के क्षेत्र में जागरूकता और उपचार की सुविधा में सुधार लाने की योजना है। इस लेख में हम इस अभियान के बारे में विस्तार से जानेंगे, इसकी महत्ता, और इसे लागू करने के लिए किए जा रहे प्रयासों पर चर्चा करेंगे।


टीवी मुक्त पंचायत क्या है?

‘टीवी मुक्त पंचायत’ का अर्थ है ऐसी पंचायतें, जहां टीबी (तपेदिक) की रोकथाम और उपचार की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति हुई हो। टीबी एक गंभीर बीमारी है, जिसे यदि समय पर इलाज न किया जाए तो यह मौत का कारण बन सकती है। इसे रोकने के लिए जरूरी है कि टीबी के मरीजों का सही समय पर उपचार किया जाए, और इसे फैलने से रोका जाए।

यहाँ, ‘टीवी मुक्त पंचायत’ घोषित करने का उद्देश्य सिर्फ बीमारी की रोकथाम नहीं, बल्कि लोगों को टीबी के प्रति जागरूक भी करना है। इस पहल में, खासतौर पर 6 महत्वपूर्ण इंडिकेटरों पर लक्ष्य हासिल करने का प्रयास किया जाएगा, जिनका विवरण नीचे दिया गया है।


टीवी मुक्त पंचायत के लिए लक्ष्य और इंडिकेटर

सीतामढ़ी जिले में टीबी मुक्त पंचायतों को घोषित करने के लिए कुल 6 प्रमुख इंडिकेटर्स (मानक) तय किए गए हैं, जिन्हें पूरा करना अनिवार्य है। इन मानकों में:

  1. 30 प्रति हजार टीबी जांच
    हर पंचायत में 30 प्रति हजार की दर से टीबी जांच की जानी चाहिए। इसका मतलब यह है कि हर पंचायत में कम से कम 30 व्यक्तियों का टीबी स्क्रीनिंग किया जाए, ताकि बीमारी का सही समय पर पता चल सके।
  2. प्रति हजार से कम टीबी मरीज का नोटिफिकेशन
    यह सुनिश्चित करना होगा कि हर पंचायत में टीबी के मरीजों की संख्या न्यूनतम हो और जो मरीज हों, उनका सही तरीके से नोटिफिकेशन किया जाए।
  3. 85% मरीजों का इलाज पूरा होना चाहिए
    पिछले वर्ष में निबंधित मरीजों में से 85% को सफलतापूर्वक इलाज और उपचार पूरा करना चाहिए। इस बिंदु पर निगरानी रखना बेहद जरूरी है ताकि कोई भी मरीज इलाज से वंचित न रहे।
  4. 60% मरीजों का यूडीएसटी जांच
    टीबी मरीजों के इलाज में यूडीएसटी (उम्मीद से अधिक डॉक्टर की सफलता) जांच का महत्वपूर्ण योगदान होता है। 60% मरीजों को इस जांच से गुजरना चाहिए।
  5. 100% मरीजों को निश्चय पोषण योजना का लाभ
    निश्चय पोषण योजना के तहत सभी टीबी मरीजों को डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के माध्यम से सहायता दी जानी चाहिए।
  6. 100% मरीजों को निश्चय फूड बास्केट दिया जाना चाहिए
    इस योजना के तहत सभी मरीजों को एक विशेष फूड बास्केट प्रदान किया जाएगा, जो उनके स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में सहायक साबित होगा।

टीवी मुक्त पंचायत घोषित करने की दिशा में किए गए प्रयास

जिले के यक्ष्मा विभाग ने इन सभी मानकों को प्राप्त करने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। इन लक्ष्यों को हासिल करने में विभाग के सभी कर्मचारियों, पंचायतों के मुखिया, और जनप्रतिनिधियों का योगदान बेहद महत्वपूर्ण होगा।

इस उद्देश्य को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए लगातार संपर्क और बैठकें आयोजित की जा रही हैं। पंचायतों के मुखिया और अन्य स्थानीय नेताओं को इस अभियान में शामिल किया गया है ताकि वे लोगों को जागरूक कर सकें और उन्हें टीबी मुक्त पंचायत की दिशा में कदम बढ़ाने के लिए प्रेरित कर सकें।


स्थानीय नेताओं का सहयोग और उदाहरण

सीतामढ़ी जिले में इस पहल को एक बड़ा मोड़ तब मिला जब परसौनी प्रखंड के एसटीएस सुधा कुमारी ने श्री दिनेश प्रसाद यादव, कठौर पंचायत के मुखिया को इस अभियान में भागीदार बनाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने अपने पंचायत के अंतर्गत 9 टीबी मरीजों को गोद लिया और एक मिसाल कायम की। इस पहल ने अन्य पंचायतों के नेताओं को भी प्रेरित किया, और अब उम्मीद की जा रही है कि अन्य पंचायतों के मुखिया भी इस तरह के प्रयासों में सक्रिय रूप से शामिल होंगे।

इस प्रकार के प्रयास जिले में टीबी मुक्त पंचायतों के लक्ष्य को और भी आसान बना सकते हैं। यह उदाहरण एक प्रेरणा है कि यदि स्थानीय नेतृत्व सही दिशा में काम करे तो बड़े लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सकता है।


100 दिवसीय सघन यक्ष्मा जागरूकता अभियान

सीतामढ़ी जिले में 100 दिवसीय सघन यक्ष्मा जागरूकता और खोज अभियान कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इस अभियान के तहत, जिले के लगभग 50,000 वल्नरेबल (सुरक्षित नहीं) जनसंख्या की पहचान की गई है। इन लोगों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है और लगभग 5,500 एक्स-रे तथा 3,000 नाट जांच किए गए हैं।

अभी तक 42 मरीजों को टीबी का इलाज शुरू किया गया है। इस अभियान को विश्व यक्ष्मा दिवस 24 मार्च 2025 तक चलाया जाएगा, और इसके तहत पंचायतों में कैम्प लगाए जा रहे हैं। इस पहल से सीतामढ़ी जिले में टीबी के मामलों को तेजी से पहचानने और इलाज देने में मदद मिलेगी।


समाप्ति और भविष्य की दिशा

सीतामढ़ी जिले में चल रहे इस स्वास्थ्य अभियान ने न केवल टीबी के उपचार में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, बल्कि यह एक मॉडल बन सकता है जो अन्य जिलों के लिए भी एक उदाहरण होगा। इस अभियान के तहत किए गए प्रयासों के सफल होने से न केवल टीबी को नियंत्रित किया जा सकेगा, बल्कि अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के समाधान में भी इस मॉडल का उपयोग किया जा सकता है।

इस अभियान में पंचायतों के मुखिया, जिला प्रशासन, और स्वास्थ्य विभाग का योगदान अनिवार्य है, और अगर सभी मिलकर काम करें तो इस अभियान को सफल बनाना निश्चित ही संभव है। यही कारण है कि इस अभियान को हर व्यक्ति की जिम्मेदारी मानते हुए पूरी मेहनत और तत्परता से लागू किया जा रहा है।

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