सीतामढ़ी में जमाबंदी डिजिटाइजेशन शिविर का आयोजन: त्रुटि रहित जमाबंदी के लिए 11 फरवरी से 15 मार्च तक विशेष प्रयास

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भारत में भूमि रिकॉर्ड और जमाबंदी का डिजिटाइजेशन बेहद महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जो न केवल सरकारी कार्यों की पारदर्शिता और कुशलता में सुधार करता है, बल्कि नागरिकों को भूमि से संबंधित उनके अधिकारों की पहचान और प्रमाणित दस्तावेज़ उपलब्ध कराता है। इस संदर्भ में, सीतामढ़ी जिले में 11 फरवरी 2025 से 15 मार्च 2025 तक आयोजित विशेष शिविरों का उद्देश्य जमाबंदी पंजी के डिजिटाइजेशन को त्रुटि रहित बनाना है।

डिजिटाइजेशन का महत्व

भूमि रिकॉर्ड को डिजिटल रूप में प्रस्तुत करना सरकार की डिजिटलीकरण नीति का हिस्सा है। इस प्रक्रिया के माध्यम से जमाबंदी पंजी, भूमि से संबंधित दस्तावेज़, और संबंधित डेटा को डिजिटल रूप में संग्रहित किया जाता है। यह प्रणाली न केवल पारदर्शिता बढ़ाती है बल्कि भू-राजस्व संबंधी कार्यों को अधिक सुगम बनाती है। डिजिटाइजेशन से नागरिकों को अपने भूमि रिकॉर्ड आसानी से प्राप्त करने में मदद मिलती है, जिससे भ्रष्टाचार की संभावना कम होती है और कार्य की गति तेज होती है।

शिविर की आवश्यकता

सीतामढ़ी जिले में आयोजित होने वाले शिविरों का उद्देश्य जमाबंदी पंजी के डिजिटाइजेशन में आने वाली त्रुटियों को सुधारना और सभी जमाबंदियों को त्रुटि रहित बनाना है। इसके लिए विशेष शिविरों का आयोजन किया गया है। इन शिविरों के माध्यम से क्षेत्रीय अधिकारी, राजस्व कर्मचारी, और भूमि सुधार अधिकारी मिलकर यह सुनिश्चित करेंगे कि प्रत्येक जमाबंदी पंजी का सही तरीके से डिजिटाइजेशन हो और कोई भी गलती न हो। इन शिविरों का आयोजन प्रत्येक हल्का/पंचायत में किया जाएगा, ताकि अधिक से अधिक रैयतों को इस प्रक्रिया में शामिल किया जा सके।

कार्यक्रम की विशेषताएँ

  1. समयावधि और रूपरेखा: इस कार्यक्रम का आयोजन 11 फरवरी 2025 से 15 मार्च 2025 तक किया जाएगा, और प्रत्येक अंचल स्तर पर हल्कावार शिविर आयोजित किए जाएंगे। यह कार्यक्रम एक मिशन मोड में संचालित किया जाएगा, ताकि निर्धारित समय सीमा के भीतर सभी जमाबंदियों का डिजिटाइजेशन त्रुटि रहित हो सके।
  2. प्रचार-प्रसार: शिविरों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए प्रत्येक पंचायत और हल्का में प्रचार-प्रसार किया जाएगा। इससे अधिक से अधिक रैयतों को इस प्रक्रिया का हिस्सा बनने का अवसर मिलेगा और वे अपनी जमाबंदी को त्रुटि रहित करवा सकेंगे।
  3. निरीक्षण और निगरानी: जिला अधिकारी और अंचल अधिकारी इन शिविरों का भौतिक निरीक्षण करेंगे, और काम की प्रगति की निगरानी वीसी (वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग) के माध्यम से की जाएगी। यह सुनिश्चित करेगा कि कार्य उच्च मानकों के अनुरूप किया जा रहा है और सभी निर्देशों का पालन हो रहा है।
  4. कोऑर्डिनेशन और सहयोग: इस पूरे अभियान में सभी संबंधित अधिकारी एक साथ मिलकर काम करेंगे। समाहर्ता श्री रिची पांडेय ने सभी सीओ को निर्देशित किया है कि वे निर्धारित रोस्टर के अनुसार शिविरों का आयोजन और निष्पादन सुनिश्चित करें।

आगे की दिशा

सीतामढ़ी जिले में आयोजित होने वाले इन शिविरों के सफलतापूर्वक समापन के बाद, इसे अन्य जिलों में भी लागू किया जा सकता है। इस पहल से न केवल सीतामढ़ी बल्कि पूरे राज्य में जमाबंदी डिजिटाइजेशन प्रक्रिया को त्रुटि रहित और अधिक प्रभावी बनाने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं। यदि यह कार्यक्रम सफलता से पूरा होता है, तो राज्य की भूमि रिकॉर्ड प्रणाली में एक बड़ा सुधार होगा, जिससे नागरिकों को भूमि विवादों में पारदर्शिता और अधिक सहूलियत होगी।

निष्कर्ष

यह विशेष शिविर निश्चित रूप से सीतामढ़ी जिले में भूमि रिकॉर्ड के डिजिटाइजेशन को त्रुटि रहित बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। इसके साथ ही, राज्य भर में यह एक उदाहरण प्रस्तुत करेगा कि कैसे सरकारी कार्यक्रमों को प्रभावी और पारदर्शी तरीके से लागू किया जा सकता है। इन प्रयासों से भूमि सुधार, नागरिक अधिकारों की रक्षा और शासन व्यवस्था में सुधार होगा।

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