दिनांक 5 फरवरी 2025 को सीतामढ़ी के डुमरा के मुरादपुर स्थित कृषि विभाग के परिसर में आत्मा सीतामढ़ी के तत्वावधान में दो दिवसीय जिला स्तरीय किसान मेला—सह—कृषि उत्पाद प्रदर्शनी का उद्घाटन जिलाधिकारी श्री रिची पांडेय द्वारा किया गया। इस मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित जिलाधिकारी ने किसानों से संवाद करते हुए कृषि के महत्व पर जोर दिया और आधुनिक तकनीकों के इस्तेमाल की आवश्यकता को रेखांकित किया। उनका कहना था कि “कृषि देश की रीढ़ है, और इसे आधुनिक तकनीकों के साथ जोड़ने की आवश्यकता है, ताकि किसानों की आय में वृद्धि हो सके और वे बेहतर तरीके से खेती कर सकें।”
मेले का उद्देश्य और किसानों के लिए नए अवसर
यह मेला किसानों को नई जानकारी और संसाधनों से अवगत कराने के उद्देश्य से आयोजित किया गया था। जिलाधिकारी श्री रिची पांडेय ने किसानों को प्रेरित किया कि वे कृषि कार्यों में नवाचार को अपनाएं, ताकि उनकी खेती अधिक लाभकारी और टिकाऊ बन सके। उन्होंने यह भी कहा कि “इस मेले के माध्यम से किसानों को कृषि संबंधित नवीनतम तकनीकों और योजनाओं के बारे में जानकारी मिलेगी, जिससे उनकी आय में वृद्धि हो सकेगी।”
डीएम ने यह भी आह्वान किया कि किसान अपनी समस्याओं के समाधान के लिए कृषि कर्मियों से संपर्क करें और टीम भावना से काम करें। उन्होंने विशेष रूप से छोटे किसानों के घर जाकर उनकी समस्याओं का निदान करने की आवश्यकता पर बल दिया और जलवायु अनुकूल कृषि तकनीक अपनाने के लिए प्रेरित किया। इसके अलावा, सीतामढ़ी जिले के अधिकांश कृषक लघु और सीमान्त श्रेणी में आते हैं, और यह क्षेत्र बाढ़ प्रभावित है। इसलिए, किसानों के उत्थान के लिए राज्य सरकार द्वारा कई लाभकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिन्हें किसानों तक पहुंचाना आवश्यक है।
पर्यावरण संरक्षण और कृषि की सस्टेनेबिलिटी

श्री रिची पांडेय ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी बात की और यह सुझाव दिया कि कृषकों को वृक्षारोपण, मृदा संरक्षण और फलदार वृक्षों के लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। उन्होंने कहा कि “फसल उत्पादन बढ़ाने के लिए यह जरूरी है कि किसान पर्यावरण के साथ तालमेल बैठाकर खेती करें और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कदम उठाएं।”
किसानों को मिल रहे नये कृषि उत्पाद
इस मेले में किसानों को कई प्रकार के नए कृषि उत्पाद और तकनीकी जानकारी दी गई। मखाना, खस, लीची, केला, आम, स्ट्रॉबेरी, फल और सब्जियों की खेती को बढ़ावा देने के लिए विशेष रूप से कार्यक्रम आयोजित किए गए थे। आत्मा द्वारा किसानों को फल—फूल एवं सब्जियों के पौधे निशुल्क वितरित किए गए थे, और इन उत्पादों को होलसेल बाजार में भी बेचा जा रहा है। इससे किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है और वे बेहतर आय कमा रहे हैं।
मेला में यह भी बताया गया कि किस प्रकार जैविक कृषि को बढ़ावा देने के लिए पशुपालन के साथ-साथ किसानों को जैविक खाद की जानकारी दी जा रही है। साथ ही, पशुओं के टीकाकरण से उनकी उत्पादकता में वृद्धि हो रही है और गुणवत्तापूर्ण दूध उत्पादन सुनिश्चित हो रहा है।
राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना और कृत्रिम गर्भाधान
डीडीएम नाबार्ड ने मेला में किसानों को बताया कि कैसे नवाचारों को एक मंच पर लाकर कृषि की उन्नति की जा सकती है। उन्होंने राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना के बारे में बताया, जिसमें कृत्रिम गर्भाधान द्वारा पशु नस्लों की गुणवत्ता में सुधार किया जा रहा है। इसके तहत सेक्स सॉर्टेड सीमेन का उत्पादन किया जा रहा है, जिससे बाछी का जन्म शत-प्रतिशत सुनिश्चित किया जा रहा है।
कृषि उत्पादक संघ और कर्ज की सुलभता
डीडीएम नाबार्ड ने किसानों के लिए कृषि उत्पादक संघ बनाने की बात की, जिससे किसानों को कृषि उत्पादों की बिक्री में फायदा हो सकेगा और उर्वरक व बीज कम कीमत पर मिल सकेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि जिले में 12 प्रखंडों में कृषि उत्पादक संघ स्थापित किए गए हैं। इसके अलावा, किसानों को कम ब्याज दर पर केसीसी लोन भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
विभिन्न योजनाओं का लाभ
मेला में जिला कृषि पदाधिकारी ब्रजेश कुमार, जिला पशुपालन पदाधिकारी, डीडीएम नाबार्ड, उप परियोजना निदेशक आत्मा, सहायक निदेशक कृषि अभियंत्रण, प्रखंड कृषि पदाधिकारी, कृषि समन्वयक, और बड़ी संख्या में किसान उपस्थित थे। यह मेला किसानों को कृषि में नवाचार, आधुनिक तकनीक, पशुपालन, और विभिन्न सरकारी योजनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी देने का एक बेहतरीन मंच साबित हुआ।
निष्कर्ष
इस मेला और प्रदर्शनी के माध्यम से किसानों को अनेक लाभकारी योजनाओं के बारे में जानकारी मिली, जिनसे उनकी आय में वृद्धि हो सकती है। किसान अब इन योजनाओं का लाभ उठाकर अपनी खेती को और भी उन्नत और लाभकारी बना सकते हैं। कृषि विभाग और आत्मा की इस पहल से किसानों को नई दिशा मिल रही है, और वे आत्मनिर्भर बनने की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ रहे हैं।