जगदेव मेला 2025: सामाजिक न्याय और समता की प्रेरणा का उत्सव
अमर शहीद जगदेव बाबू की जयंती के अवसर पर आयोजित जगदेव मेला सामाजिक न्याय, समानता और दलित-शोषित वर्ग के उत्थान के संकल्प का प्रतीक बन गया है। यह मेला केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि एक विचारधारा को आगे बढ़ाने और समाज में व्याप्त अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने का माध्यम भी है।
निशिकांत सिन्हा जी का योगदान
जगदेव मेला में निशिकांत सिन्हा जी ने 3 फरवरी को शिरकत कर शोषित समाज दल और अर्जक संघ के कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। उन्होंने अमर शहीद जगदेव बाबू को श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके अधूरे सपनों को पूरा करने की प्रतिबद्धता जताई। निशिकांत सिन्हा जी के आगमन और समर्थन के लिए उनका हार्दिक धन्यवाद!
जगदेव मेला: सामाजिक बदलाव की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम
हर साल आयोजित होने वाला जगदेव मेला केवल एक सांस्कृतिक आयोजन नहीं, बल्कि सामाजिक समता, न्याय और अधिकारों की प्राप्ति के लिए संघर्ष करने वालों का एकजुट होने का मंच है। यह मेला 2 फरवरी से 4 फरवरी तक आयोजित किया गया, जिसमें विभिन्न सांस्कृतिक, सामाजिक और जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन हुआ।
कौन थे अमर शहीद जगदेव बाबू?
अमर शहीद जगदेव प्रसाद बाबू को “शोषितों के मसीहा” के रूप में जाना जाता है। वे समाज के 90% शोषित वर्ग के अधिकारों की लड़ाई लड़ने वाले महान नेता थे। उन्होंने भारत में सामाजिक असमानता, जातिवाद और आर्थिक शोषण के खिलाफ आवाज उठाई।
जगदेव बाबू के प्रमुख विचार और सिद्धांत:
- 90% बनाम 10% का सिद्धांत – उनका मानना था कि समाज का 90% हिस्सा शोषित है और 10% हिस्सा शोषणकर्ता। जब तक 90% को उनके अधिकार नहीं मिलते, तब तक सामाजिक समता संभव नहीं।
- समान शिक्षा और अवसर – उन्होंने शिक्षा को सबसे बड़ा हथियार माना और इसके माध्यम से सामाजिक बदलाव की बात कही।
- जातिवाद का उन्मूलन – वे एक जातिविहीन समाज की कल्पना करते थे, जहां हर व्यक्ति को समान अवसर मिले।
- अर्जक संघ की स्थापना – अर्जक संघ एक सामाजिक संगठन है, जो गैर-बराबरी के खिलाफ संघर्ष करता है और समाज को वैज्ञानिक सोच अपनाने के लिए प्रेरित करता है।
निशिकांत सिन्हा जी का संदेश

3 फरवरी को निशिकांत सिन्हा जी ने मेला में शामिल होकर अर्जक संघ और शोषित समाज दल के कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। उन्होंने कहा:
“जगदेव बाबू के अधूरे कार्य को पूरा करने के लिए हमें 90% शोषित समाज को उनके अधिकार दिलाने के लिए संघर्ष करना होगा। यह केवल एक राजनीतिक लड़ाई नहीं, बल्कि एक सामाजिक क्रांति है। हमें शिक्षा, रोजगार, और समान अधिकारों के लिए मिलकर काम करना होगा।”
जगदेव मेला: एकजुटता और संघर्ष का संकल्प
जगदेव मेला में कई महत्वपूर्ण कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनमें प्रमुख थे:
- सामाजिक जागरूकता रैली – इसमें बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया और समानता की मांग को दोहराया।
- विचार गोष्ठी – इसमें शोषित समाज के अधिकारों, आरक्षण नीति, शिक्षा और सामाजिक न्याय पर चर्चा की गई।
- सांस्कृतिक कार्यक्रम – समाज में बदलाव लाने वाले संदेशों को नाटक और गीतों के माध्यम से प्रस्तुत किया गया।
शोषित समाज दल और अर्जक संघ की भूमिका
शोषित समाज दल और अर्जक संघ सदियों से शोषित समाज को उनके अधिकार दिलाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। ये संगठन केवल राजनीतिक मोर्चे पर ही नहीं, बल्कि सामाजिक सुधार के स्तर पर भी महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं।
संघर्ष के प्रमुख मुद्दे:
- शिक्षा में समान अवसर – समाज के हर तबके को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले।
- रोजगार और आर्थिक सशक्तिकरण – शोषित वर्ग को स्वरोजगार और आर्थिक अवसर उपलब्ध कराना।
- जातिवाद का अंत – समाज को जातिगत भेदभाव से मुक्त करना।
- वैज्ञानिक सोच का प्रचार-प्रसार – तर्कशीलता और विज्ञानवादी दृष्टिकोण को अपनाना।
जगदेव बाबू के सपनों को पूरा करने का संकल्प
इस मेले का सबसे महत्वपूर्ण संदेश यही है कि अब समय आ गया है कि हम जगदेव बाबू के सपनों को पूरा करें।
हमें क्या करना होगा?
- संगठित होना होगा – जब तक हम संगठित नहीं होंगे, तब तक सामाजिक बदलाव संभव नहीं।
- शिक्षा पर ध्यान देना होगा – हमारे बच्चों को शिक्षित करना ही भविष्य का सबसे मजबूत हथियार है।
- रोजगार के लिए संघर्ष करना होगा – शोषित समाज को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना जरूरी है।
- जातिवाद और अंधविश्वास को त्यागना होगा – हमें वैज्ञानिक सोच अपनानी होगी और जातिवाद को खत्म करना होगा।
समाप्ति: एक नए युग की शुरुआत
जगदेव मेला केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि एक सामाजिक क्रांति की ज्वाला है। यह हमें हमारे अधिकारों की याद दिलाता है और हमें अपने समाज को बेहतर बनाने के लिए प्रेरित करता है। अब समय आ गया है कि हम एकजुट होकर सामाजिक न्याय की इस लड़ाई को आगे बढ़ाएं।
जय जगदेव बाबू! जय शोषित समाज दल! जय अर्जक संघ!