वसंत पंचमी महोत्सव-2025: सीतामढ़ी में भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन

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वसंत पंचमी भारतीय संस्कृति का एक प्रमुख पर्व है, जिसे ज्ञान, संगीत और कला की देवी माँ सरस्वती के पूजन के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व भी अपार है। बिहार के सीतामढ़ी जिले में इस वर्ष वसंत पंचमी के अवसर पर एक भव्य सांस्कृतिक महोत्सव का आयोजन किया गया, जिसमें जिले भर से बड़ी संख्या में कलाकार, विद्यार्थी, गणमान्य नागरिक, अधिकारीगण और स्थानीय लोग शामिल हुए।

इस कार्यक्रम का आयोजन कला, संस्कृति एवं युवा विभाग, बिहार तथा जिला प्रशासन के तत्वावधान में किया गया था। यह कार्यक्रम शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट), डुमरा, सीतामढ़ी के प्रांगण में संपन्न हुआ। महोत्सव का शुभारंभ सीतामढ़ी के जिलाधिकारी श्री रिची पांडेय के करकमलों द्वारा दीप प्रज्वलन से हुआ। इस अवसर पर जिले के अन्य वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी, शिक्षाविद, कलाकार, विद्यार्थी और स्थानीय नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

वसंत पंचमी का महत्व

1. धार्मिक और आध्यात्मिक पक्ष

वसंत पंचमी को माँ सरस्वती जयंती के रूप में मनाया जाता है। यह दिन विद्यार्थियों, कलाकारों, संगीतज्ञों और लेखकों के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि माँ सरस्वती को विद्या, बुद्धि, संगीत और कला की देवी माना जाता है। इस दिन विद्यालयों, शिक्षण संस्थानों और मंदिरों में माँ सरस्वती की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।

2. प्राकृतिक सौंदर्य और वसंत ऋतु का आगमन

वसंत पंचमी के साथ ही वसंत ऋतु का आगमन होता है, जो प्रकृति के पुनर्जीवन का प्रतीक है। इस समय खेतों में पीली सरसों की फसलें लहलहाती हैं, आम के वृक्षों पर बौर आ जाते हैं, और संपूर्ण वातावरण आनंदमय हो जाता है। यह मौसम न केवल सौंदर्य से भरपूर होता है, बल्कि इसे ऋतुओं का राजा भी कहा जाता है।

3. सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व

वसंत पंचमी केवल पूजा-पाठ तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह सांस्कृतिक आयोजनों और सामाजिक समरसता का पर्व भी है। इस दिन भारत के विभिन्न हिस्सों में संगीत, नृत्य, नाटक, कवि सम्मेलन और अन्य सांस्कृतिक गतिविधियाँ आयोजित की जाती हैं।

सीतामढ़ी में आयोजित वसंत पंचमी महोत्सव-2025 की विशेष झलकियां

1. उद्घाटन समारोह

महोत्सव का उद्घाटन जिलाधिकारी श्री रिची पांडेय के करकमलों द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। इस अवसर पर जिला भूअर्जन पदाधिकारी विकास कुमार, अपर समाहर्ता विभागीय जांच अधिकारी कुमार धनंजय, जिला कला एवं संस्कृति पदाधिकारी बिरजू दास, जिला शिक्षा पदाधिकारी प्रमोद कुमार साहू, जिला जनसंपर्क अधिकारी कमल सिंह सहित जिले के कई गणमान्य अधिकारी उपस्थित रहे।

जिलाधिकारी ने अपने संबोधन में वसंत पंचमी के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा:

“वसंत पंचमी केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने और समाज को जोड़ने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। यह दिन ज्ञान, संगीत और कला के प्रति समर्पण का प्रतीक है।”

2. सांस्कृतिक कार्यक्रमों की मनमोहक प्रस्तुति

महोत्सव के दौरान रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, जिसमें स्थानीय विद्यालयों और महाविद्यालयों के विद्यार्थियों ने अपनी शानदार प्रस्तुतियों से सभी का मन मोह लिया। कार्यक्रमों में लोकगीत, शास्त्रीय संगीत, नृत्य, कविताएं और नाटक प्रमुख आकर्षण रहे।

(क) स्वागत गीत और वंदनाएँ

कार्यक्रम का शुभारंभ प्रियंका कुमारी और उनके समूह द्वारा प्रस्तुत एक मधुर स्वागत गीत से हुआ, जिसने पूरे वातावरण को भक्तिमय बना दिया। इसके बाद, प्रसिद्ध संगीत शिक्षक राहुल राजा ने गणेश वंदना प्रस्तुत की, जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

(ख) सरस्वती वंदना और शास्त्रीय नृत्य

जिले की प्रसिद्ध गायिका प्रियंका मिश्रा ने सरस्वती वंदना गाकर पूरे समारोह को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया। इसके बाद, संगीत शिक्षिका आस्था परिहस्त ने कथक नृत्य की एक अद्भुत प्रस्तुति दी, जिसने दर्शकों को भाव-विभोर कर दिया।

(ग) लोकगीत और नृत्य की प्रस्तुति

स्थानीय कलाकारों द्वारा प्रस्तुत भोजपुरी और मैथिली लोकगीतों ने पूरे वातावरण में उत्साह और उल्लास का संचार कर दिया। इसके अलावा, लोकनृत्य और शास्त्रीय नृत्य के कार्यक्रमों ने दर्शकों का मन मोह लिया।

3. मंच संचालन और विशेष आकर्षण

कार्यक्रम का संचालन जिले के मशहूर एंकर नवनीत कुमार ने किया। उनकी प्रभावशाली वाणी और शानदार प्रस्तुतिकरण ने पूरे कार्यक्रम को ऊर्जावान बनाए रखा।

इस अवसर पर विभिन्न विद्यालयों के छात्रों ने शिक्षाप्रद नाटकों की प्रस्तुति भी दी, जिसमें समाज सुधार और पर्यावरण संरक्षण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाया गया।

समारोह की प्रमुख उपलब्धियां और निष्कर्ष

  1. संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन का मंच: इस महोत्सव ने जिले के कलाकारों और विद्यार्थियों को अपनी प्रतिभा दिखाने का सुनहरा अवसर प्रदान किया।
  2. नई पीढ़ी में सांस्कृतिक चेतना का विकास: इस प्रकार के आयोजनों से युवा पीढ़ी को भारतीय संस्कृति, परंपरा और कला के महत्व का बोध होता है।
  3. सामाजिक समरसता का प्रतीक: इस कार्यक्रम में सभी वर्गों और समुदायों के लोगों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया, जिससे समाज में एकता और सौहार्द का संदेश प्रसारित हुआ।
  4. पर्यावरण संरक्षण का संदेश: कार्यक्रम में प्रस्तुत नाटकों और कविताओं के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण, जल बचाव और स्वच्छता जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर जागरूकता फैलाई गई।

समापन

वसंत पंचमी महोत्सव-2025, सीतामढ़ी का यह भव्य आयोजन न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रहा, बल्कि इसने समाज के हर वर्ग को जोड़ने और सकारात्मक ऊर्जा फैलाने का कार्य भी किया। ऐसे आयोजनों से न केवल भारतीय संस्कृति को मजबूती मिलती है, बल्कि यह समाज को एक नई दिशा देने में भी सहायक होते हैं।

जिला प्रशासन द्वारा इस प्रकार के सांस्कृतिक आयोजनों को भविष्य में भी प्रोत्साहित किए जाने की उम्मीद है, ताकि हमारी भारतीय विरासत, कला और संस्कृति को संरक्षित और संवर्धित किया जा सके।

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