भारत के सामाजिक न्याय आंदोलन के महानायक, शोषित समाज दल के संस्थापक महामंत्री और अर्जक संघ के प्रणेता अमर शहीद जगदेव प्रसाद की 103वीं जयंती के शुभ अवसर पर बिहार के अरवल जिले में कुर्था ब्लॉक प्रांगण में राष्ट्रीय विशाल शहीद जगदेव मेला का भव्य आयोजन किया जा रहा है। यह ऐतिहासिक मेला 2 फरवरी से 4 फरवरी तक आयोजित किया जाएगा, जिसमें समाज के विभिन्न वर्गों के लोग एकजुट होकर शहीद जगदेव प्रसाद के विचारों को सुनेंगे, समझेंगे और उनके मानवतावादी दृष्टिकोण को आत्मसात करेंगे।
शहीद जगदेव मेला: एक ऐतिहासिक आयोजन
यह मेला अपनी अनूठी विशेषता के लिए प्रसिद्ध है, क्योंकि यह शहीदों के मजार पर आयोजित किया जाता है और यह पहला अवसर है जब यह मेला स्वयं जगदेव बाबू के शहीद स्थल पर लगाया जा रहा है। यह आयोजन न केवल एक मेले तक सीमित है, बल्कि यह एक वैचारिक मंच है, जहां सामाजिक परिवर्तन, समता और न्याय के विचारों को विस्तार से प्रस्तुत किया जाता है।
मेले में भाग लेने के लिए सभी समाज के लोगों को सादर आमंत्रित किया जाता है, ताकि वे न केवल इस ऐतिहासिक मेले का अनुभव कर सकें, बल्कि सामाजिक न्याय और समानता के सिद्धांतों को भी आत्मसात कर सकें। यह मेला हर वर्ष सामाजिक जागरूकता और परिवर्तन के उद्देश्य से आयोजित किया जाता है, जिसमें कई विद्वान, सामाजिक कार्यकर्ता और राजनेता शिरकत करते हैं।
अमर शहीद जगदेव प्रसाद: सामाजिक न्याय के अग्रदूत
अमर शहीद जगदेव प्रसाद ने भारतीय समाज में व्याप्त सामाजिक असमानता, जातिवाद और शोषण के खिलाफ संघर्ष किया। उन्होंने न केवल राजनीतिक रूप से बल्कि वैचारिक रूप से भी समाज को जागरूक करने का कार्य किया। उनका मानना था कि जब तक समाज के शोषित, वंचित और पिछड़े वर्गों को न्याय नहीं मिलेगा, तब तक भारत की प्रगति संभव नहीं होगी। उन्होंने अपने जीवनकाल में कई आंदोलनों का नेतृत्व किया और गरीबों, मजदूरों एवं दलितों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया।
जगदेव प्रसाद को “भारत लेनिन” के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि उनके विचार और संघर्ष रूस के प्रसिद्ध क्रांतिकारी नेता लेनिन से प्रेरित थे। उन्होंने अपने जीवन को पूरी तरह से सामाजिक न्याय और समानता के लिए समर्पित कर दिया और इसी संघर्ष में 5 सितंबर 1974 को उन्हें शहीद कर दिया गया।
मेले की प्रमुख विशेषताएँ
यह मेला केवल मनोरंजन या खरीदारी का स्थल नहीं है, बल्कि यह सामाजिक और वैचारिक आंदोलन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसकी कुछ प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं:
- शहीदों को श्रद्धांजलि: इस मेले में विशेष रूप से शहीद जगदेव प्रसाद और अन्य शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाती है। उनके विचारों और आदर्शों पर चर्चा की जाती है।
- सामाजिक न्याय पर संगोष्ठियाँ: मेले में विभिन्न विषयों पर संगोष्ठियाँ आयोजित की जाएंगी, जिनमें सामाजिक न्याय, दलित उत्थान, महिला सशक्तिकरण, शिक्षा और रोजगार के मुद्दों पर चर्चा होगी।
- सांस्कृतिक कार्यक्रम: स्थानीय एवं राष्ट्रीय स्तर के कलाकार इस मेले में अपनी प्रस्तुतियाँ देंगे, जिनमें लोकगीत, नाटक, कवि सम्मेलन और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम शामिल होंगे।
- पुस्तक मेले एवं प्रदर्शनी: सामाजिक न्याय, इतिहास, राजनीति और जगदेव प्रसाद के जीवन से संबंधित पुस्तकों की प्रदर्शनी लगाई जाएगी, जिससे लोग उनके विचारों को गहराई से समझ सकें।
- मानवतावादी विचारधारा का प्रचार-प्रसार: यह मेला “पाखंडवाद मुक्त मेला” के रूप में जाना जाता है, जहाँ अंधविश्वास, जातिवाद और अन्य सामाजिक बुराइयों के खिलाफ जागरूकता फैलाई जाती है।
सामाजिक परिवर्तन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम
शहीद जगदेव मेला केवल एक वार्षिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह सामाजिक बदलाव और न्याय की दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है। भारत में जातिवाद और सामाजिक भेदभाव की जड़ें गहरी हैं, और ऐसे आयोजनों के माध्यम से समानता और बंधुत्व का संदेश फैलाने में मदद मिलती है। इस मेले के माध्यम से हजारों लोग सामाजिक न्याय की लड़ाई को समझते हैं और इसे आगे बढ़ाने की प्रेरणा लेते हैं।
मेले में भाग लेने का निमंत्रण
मेला समिति के उपाध्यक्ष एवं शोषित समाज दल प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष निर्भय कुमार तथा अर्जक संघ भागलपुर के जिला प्रचारक निखिल कुशवाहा की ओर से सभी नागरिकों को इस मेले में सादर आमंत्रित किया जाता है।
इस ऐतिहासिक आयोजन में भाग लें, अपने परिवार और दोस्तों के साथ आएँ, और शहीद जगदेव प्रसाद के विचारों को समझें। यह मेला आपके लिए सामाजिक जागरूकता और मानवतावाद की अनमोल सीख लेकर आएगा।
निष्कर्ष
शहीद जगदेव मेला केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि एक आंदोलन है जो समाज के शोषित, वंचित और दलित वर्गों को न्याय दिलाने की दिशा में कार्यरत है। इस मेले का उद्देश्य केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि विचारों की क्रांति को आगे बढ़ाना है।
आइए, इस ऐतिहासिक आयोजन का हिस्सा बनें और अमर शहीद जगदेव प्रसाद के विचारों को आत्मसात कर एक समानतामूलक समाज की स्थापना में योगदान दें।