सबकी भागीदारी से ही मिटेगी फाइलेरिया की बीमारी
सीतामढ़ी, 30 जनवरी 2025 – राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत आगामी मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (MDA) चक्र-2025 को लेकर जिला समन्वय समिति की बैठक आयोजित की गई। इस बैठक की अध्यक्षता जिला पदाधिकारी, सीतामढ़ी ने की, जिसमें स्वास्थ्य विभाग के अलावा शिक्षा, पंचायती राज, ICDS, जीविका समेत अन्य विभागों के जिला और प्रखंड स्तरीय अधिकारी शामिल हुए।
बैठक का मुख्य उद्देश्य फाइलेरिया उन्मूलन अभियान को प्रभावी रूप से लागू करने हेतु विभिन्न विभागों के समन्वय को सुनिश्चित करना था। जिला पदाधिकारी ने बताया कि इस वर्ष जिले में 42,29,072 लोगों को फाइलेरिया से बचाव के लिए दवा खिलाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके लिए 1612 दवा वितरण दलों का गठन किया गया है, जिनकी निगरानी के लिए 160 पर्यवेक्षक तैनात किए गए हैं।
फाइलेरिया उन्मूलन के लिए विस्तृत कार्ययोजना
MDA चक्र-2025 के तहत 10 फरवरी 2025 से 13 फरवरी 2025 तक सभी सरकारी एवं निजी विद्यालयों में योग्य बच्चों और शिक्षकों को दवा खिलाई जाएगी। इसके बाद 14 फरवरी से 28 फरवरी 2025 तक स्वास्थ्य कर्मियों की टीमें घर-घर जाकर योग्य नागरिकों को दवा का सेवन कराएंगी।
उम्र के अनुसार दवा सेवन का विवरण:
- 2 से 5 वर्ष – एलबेंडाजोल की 1 गोली + DEC की 1 गोली
- 6 से 14 वर्ष – एलबेंडाजोल की 1 गोली + DEC की 2 गोलियां
- 15 वर्ष एवं उससे अधिक – एलबेंडाजोल की 1 गोली + DEC की 3 गोलियां
महत्वपूर्ण निर्देश:
- 2 वर्ष से कम उम्र के शिशु, गर्भवती महिलाएं, तथा गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति दवा का सेवन नहीं करेंगे।
- प्रत्येक विभाग को अपने-अपने स्तर पर इस अभियान की सफलता के लिए योगदान देना आवश्यक होगा।
फाइलेरिया उन्मूलन के लिए बहुविभागीय समन्वय
जिला पदाधिकारी ने स्पष्ट किया कि फाइलेरिया मुक्त समाज बनाने के लिए केवल स्वास्थ्य विभाग ही नहीं, बल्कि अन्य विभागों की सक्रिय भागीदारी भी जरूरी है। इसके लिए शिक्षा विभाग, पंचायती राज विभाग, ICDS, जीविका और गैर सरकारी संगठनों (NGOs) को सामूहिक प्रयास करना होगा।
MDA अभियान से पहले प्रत्येक प्रखंड में:
- प्रखंड विकास पदाधिकारी (BDO) और प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी (MOIC) की अध्यक्षता में बैठकें आयोजित होंगी।
- स्थानीय जनप्रतिनिधि, स्वास्थ्यकर्मी एवं समाज के प्रभावशाली व्यक्तियों द्वारा स्वयं दवा खाकर लोगों को प्रेरित किया जाएगा।
- व्यापक स्तर पर जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को फाइलेरिया की गंभीरता एवं दवा सेवन के लाभों के बारे में बताया जाएगा।
स्वास्थ्य विभाग और अन्य संगठनों की भूमिका
बैठक में सिविल सर्जन, डॉ. अखिलेश कुमार ने सभी विभागों से अपील की कि वे इस अभियान को सफल बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं। उन्होंने कहा कि फाइलेरिया उन्मूलन के लिए पूर्ण प्रतिबद्धता और जागरूकता आवश्यक है।
बैठक में मौजूद प्रमुख अधिकारी एवं संस्थाएं:
- उप विकास आयुक्त, अपर समाहर्ता सह जिला पंचायती राज पदाधिकारी, सिविल सर्जन
- जिला कार्यक्रम प्रबंधक (DHS), जिला कार्यक्रम समन्वयक (DHS), जिला अनुश्रवण एवं मूल्यांकन पदाधिकारी (DHS)
- DPO (ICDS), जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी, DPM (जीविका)
- सभी प्रखंड चिकित्सा अधिकारी, पंचायती राज पदाधिकारी, शिक्षा पदाधिकारी
- गैर-सरकारी संस्थाओं (NGOs) के प्रतिनिधि, WHO के जोनल कोऑर्डिनेटर डॉ. माधुरी देवराजू
- पीरामल फाउंडेशन के जिला लीड प्रभाकर कुमार, प्रोग्राम लीड रोहित कुमार
फाइलेरिया मुक्त समाज की ओर एक और कदम
बैठक में पीरामल फाउंडेशन के जिला लीड प्रभाकर कुमार और प्रोग्राम लीड रोहित कुमार ने PPT के माध्यम से राज्य एवं जिले में फाइलेरिया की वर्तमान स्थिति पर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि सभी प्रखंडों में रैपिड रिस्पॉन्स टीम (RRT) का गठन किया गया है, जो किसी भी दवा से प्रतिकूल प्रतिक्रिया (ADR – Adverse Drug Reaction) की स्थिति में त्वरित सहायता उपलब्ध कराएगी।
फाइलेरिया क्या है और इससे बचाव क्यों जरूरी है?
फाइलेरिया एक परजीवी जनित रोग है, जो मच्छरों के काटने से फैलता है। यह बीमारी मुख्य रूप से लसीका तंत्र को प्रभावित करती है और हाथीपांव (Elephantiasis) जैसी विकलांगता उत्पन्न कर सकती है। इसके अतिरिक्त, यह बुखार, अंगों की सूजन और शारीरिक अक्षमता का कारण बन सकता है।
फाइलेरिया उन्मूलन के लिए दवा सेवन क्यों जरूरी है?
- फाइलेरिया का कोई स्थायी इलाज नहीं है, केवल रोकथाम ही एकमात्र उपाय है।
- MDA (Mass Drug Administration) कार्यक्रम के तहत दी जाने वाली DEC और एलबेंडाजोल दवाएं इस रोग के परजीवियों को समाप्त कर देती हैं।
- इस दवा का सेवन सुरक्षित है और यह शरीर में पहले से मौजूद परजीवियों को खत्म करने में मदद करता है।
समाज की भूमिका और जागरूकता अभियान
फाइलेरिया उन्मूलन के लिए सिर्फ सरकारी प्रयास ही पर्याप्त नहीं हैं। समाज को भी इस अभियान में योगदान देना होगा। इसके लिए –
- ग्राम पंचायतों और शहरी वार्डों में विशेष जागरूकता शिविर आयोजित किए जाएं।
- स्थानीय स्कूलों और कॉलेजों में विद्यार्थियों को फाइलेरिया के बारे में जानकारी दी जाए।
- आंगनबाड़ी केंद्रों और स्वास्थ्य उपकेंद्रों पर विशेष बैठकें आयोजित की जाएं।
- सामुदायिक नेताओं, धार्मिक संगठनों और स्वयंसेवी संस्थाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जाए।
निष्कर्ष
फाइलेरिया उन्मूलन के लिए सरकार, स्वास्थ्य विभाग, अन्य सरकारी विभागों और समाज की संयुक्त भागीदारी अत्यंत आवश्यक है। यदि सभी विभाग मिलकर कार्य करें और लोग नियमित रूप से दवा का सेवन करें, तो फाइलेरिया को जड़ से मिटाना संभव होगा।
इस कार्यक्रम की सफलता के लिए हर व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। MDA चक्र-2025 के अंतर्गत दवा वितरण और जागरूकता अभियान में सबकी भागीदारी अनिवार्य है।
याद रखें, फाइलेरिया से बचाव की दवा पूरी तरह सुरक्षित है और यह हमें एक स्वस्थ भविष्य की ओर ले जाती है।