सीतामढ़ी में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जीविका कार्यों की समीक्षा: महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की पहल!

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सीतामढ़ी समाहरणालय स्थित विमर्श सभा कक्ष में जिलाधिकारी श्री रिची पांडेय की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक में जीविका के द्वारा किए जा रहे कार्यों की समीक्षा की गई और भविष्य की योजनाओं पर चर्चा की गई। बैठक में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए चलाए जा रहे कार्यक्रमों पर विशेष जोर दिया गया। जिलाधिकारी ने निर्देश दिया कि जीविका समूहों को और अधिक प्रभावी बनाया जाए ताकि इसका लाभ समाज के हर वर्ग को मिल सके।


जीविका समूहों की वर्तमान स्थिति

समीक्षा के दौरान डीपीएम जीविका द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों ने जिले में जीविका के प्रभाव को स्पष्ट किया। जिले में वर्तमान में 38,865 जीविका समूह संचालित हैं, जिनमें से 38,267 समूहों का बचत खाता खोला जा चुका है। इन समूहों को प्रारंभिक निवेश निधि के तहत 228.68 करोड़ रुपये उपलब्ध कराए गए हैं। बैंक लिंकेज के तहत समूहों को 386.81 करोड़ रुपये की प्रथम किस्त प्रदान की गई है।

इसके अलावा, जिले में कुल 2,725 ग्राम संगठन और 52 संकुल स्तरीय संघ सक्रिय हैं। नीरा उत्पादक समूहों की संख्या 12 है, जिनसे 391 किसान जुड़े हुए हैं। अब तक कुल 2,14,735 लीटर नीरा का उत्पादन किया जा चुका है। दीदी की नर्सरी योजना के तहत 18 नर्सरियों में 2,43,742 पौधे तैयार किए गए हैं।


महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में प्रयास

बैठक में जिलाधिकारी ने निर्देश दिया कि सभी जीविका दीदियों को आयुष्मान कार्ड से आच्छादित किया जाए। उन्होंने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना के व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए भी जीविका दीदियों को सक्रिय करने की बात कही। जेंडर रेशियो में सुधार के लिए परिवारों की काउंसलिंग कराने का निर्देश दिया गया। इसके साथ ही, बाल विवाह और दहेज प्रथा जैसी सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ अभियान चलाने पर भी जोर दिया गया।

जिलाधिकारी ने कहा कि महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाने के लिए जीविका के कार्यक्रमों से पूरी प्रतिबद्धता के साथ जुड़ने की आवश्यकता है। ग्रामीण और शहरी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में जो प्रयास किए जा रहे हैं, उन्हें और प्रभावी बनाने की जरूरत है।


सतत जीविकोपार्जन योजना का प्रभाव

सतत जीविकोपार्जन योजना के तहत 7,004 लक्षित परिवारों के बैंक खाते खोले गए हैं और 6,770 परिवारों को जन वितरण प्रणाली के अंतर्गत राशन कार्ड प्रदान किए गए हैं। इस योजना से लाभान्वित 2,797 महिलाएं 10,000 रुपये प्रति माह की आय अर्जित कर “लखपति दीदी” की श्रेणी में आ चुकी हैं। जिले में कुल 1,45,000 से अधिक महिलाएं 10,000 रुपये प्रति माह से अधिक की आय अर्जित कर रही हैं।


स्वरोजगार और प्रशिक्षण कार्यक्रम

आर. शेट्टी द्वारा प्रशिक्षित 7,911 युवाओं में से 5,630 युवा स्वरोजगार से जुड़ चुके हैं। इसके अलावा, तीन सामुदायिक पुस्तकालयों का संचालन किया जा रहा है, जिनसे 450 विद्यार्थी लाभान्वित हो रहे हैं। प्रधानमंत्री एफएमई योजना के तहत 514 लाभार्थियों को सीड कैपिटल फंड प्रदान किया गया है।


महिला सशक्तिकरण के लिए चल रहे अन्य प्रयास

जिले में डुमरा और बाजपट्टी में मशरूम और सब्जी का क्लस्टर बनाया गया है, जबकि पुपरी में मशरूम का क्लस्टर निर्माणाधीन है। बीआर अंबेडकर 10+2 स्कूल में 300 बच्चों और सदर अस्पताल में 150 मरीजों को प्रतिदिन “दीदी की रसोई” के माध्यम से भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। इन प्रयासों से महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के साथ-साथ उनके सामाजिक उत्थान में भी मदद मिल रही है।


जिलाधिकारी के निर्देश और आगामी योजनाएं

जिलाधिकारी ने निर्देश दिया कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में जीविका समूहों को और अधिक सक्रिय किया जाए। उन्होंने कहा कि सभी महिलाओं को जीविका कार्यक्रमों से जोड़ने का लक्ष्य होना चाहिए। बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना और जेंडर रेशियो सुधार के लिए व्यापक स्तर पर अभियान चलाने की जरूरत है।

साथ ही, बाल विवाह और दहेज प्रथा जैसी कुरीतियों के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए जीविका दीदियों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। उन्होंने यह भी कहा कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्वरोजगार के नए अवसर पैदा किए जाएं।


निष्कर्ष

सीतामढ़ी में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में आयोजित यह समीक्षा बैठक महिला सशक्तिकरण और सामाजिक सुधार के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। जीविका के माध्यम से न केवल महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया जा रहा है, बल्कि सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ भी एक मजबूत अभियान चलाया जा रहा है। यह पहल समाज के हर वर्ग के लिए प्रेरणा का स्रोत है और भविष्य में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगी।

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