सीतामढ़ी, 10 फरवरी 2025:
आज डुमरा प्रखण्ड स्थित राजकीय बुनियादी विद्यालय में जिला पदाधिकारी सीतामढ़ी श्री रिची पांडेय की अध्यक्षता में फाइलेरिया से बचाव के लिए सर्वजन दवा सेवन (MDA) चक्र की शुरुआत की गई। इस अवसर पर सिविल सर्जन डॉ. अखिलेश कुमार, जिला शिक्षा पदाधिकारी प्रमोद कुमार साहू, जिला सूचना जन संपर्क पदाधिकारी कमल सिंह, जिला VBD नियंत्रण कार्यालय के प्रिंस कुमार, पवन कुमार, राजू रमन, राकेश कुमार, शिवशंकर प्रसाद, पीरामल फाउंडेशन से जिला लीड प्रभाकर कुमार और प्रोग्राम लीड रोहित कुमार, यूनिसेफ से अभिषेक कुमार और नवीन कुमार, विद्यालय के शिक्षकगण तथा अन्य स्थानीय अधिकारीगण उपस्थित थे।
कार्यक्रम का उद्घाटन और उद्देश्य:
कार्यक्रम की शुरुआत में जिला पदाधिकारी श्री रिची पांडेय और अन्य अधिकारियों ने दीप प्रज्वलित किया और दवा का सेवन करते हुए इस अभियान की औपचारिक शुरुआत की। इस अवसर पर जिला पदाधिकारी ने उपस्थित सभी लोगों को बताया कि फाइलेरिया एक लाइलाज बीमारी है, लेकिन इसका बचाव बहुत आसान है। उन्होंने कहा कि अगर योग्य आबादी प्रत्येक वर्ष एक बार दवा का सेवन करती है और यह सिलसिला 4 से 5 साल तक जारी रहता है, तो फाइलेरिया से मुक्ति प्राप्त की जा सकती है।
कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी:
जिला प्रशासन द्वारा 10 फरवरी से 13 फरवरी 2025 तक जिले के सभी विद्यालयों में दवा सेवन अभियान चलाने का निर्णय लिया गया है। इसके बाद, 15 फरवरी से संबंधित दलों द्वारा घर-घर जाकर दवा का सेवन कराया जाएगा।
इस अभियान के दौरान, यदि किसी व्यक्ति को दवा का प्रतिकूल प्रभाव महसूस होता है, तो इसे लेकर जिले में रैपिड रिस्पॉन्स टीम का गठन किया गया है। यह टीम उन लोगों की सहायता करेगी जिन्हें दवा का प्रतिकूल प्रभाव झेलना पड़ता है।
फाइलेरिया के लक्षण और उपाय:
सिविल सर्जन डॉ. अखिलेश कुमार ने बताया कि फाइलेरिया का प्रभाव उन व्यक्तियों में ज्यादा होता है, जिनमें माइक्रोफाइलेरिया का संक्रमण ज्यादा होता है। हालांकि, इसे लेकर घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह प्रभाव कुछ समय बाद स्वतः ही ठीक हो जाता है।
शिक्षा विभाग का सहयोग:
जिला शिक्षा पदाधिकारी प्रमोद कुमार साहू ने सभी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों और विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों को निर्देशित किया कि वे दवा खिलाने वाले कर्मियों को सहयोग प्रदान करें और सभी शिक्षकों एवं छात्रों को दवा का सेवन कराएं।
फाइलेरिया जागरूकता रथ:
इस कार्यक्रम के साथ ही जिला पदाधिकारी और सिविल सर्जन ने फाइलेरिया जागरूकता रथ को हरी झंडी दिखाते हुए जिले के विभिन्न प्रखंडों के लिए रवाना किया। यह रथ अभियान के दौरान जिले के दूरदराज इलाकों में फाइलेरिया के बारे में जागरूकता फैलाएगा।
एम एम डी पी कीट का वितरण:
कार्यक्रम के समापन के समय जिला पदाधिकारी श्री रिची पांडेय ने फाइलेरिया से ग्रसित मरीजों को एम एम डी पी कीट (Mass Drug Administration Package) वितरित किए। इस कीट में वह सभी आवश्यक दवाइयां और सामग्री शामिल हैं, जो फाइलेरिया के इलाज में सहायक होती हैं।
फाइलेरिया की स्थिति और जागरूकता अभियान:
भारत में फाइलेरिया को नियंत्रित करने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा कई योजनाएं चलायी जा रही हैं। फाइलेरिया एक संक्रामक बीमारी है जो मच्छरों के माध्यम से फैलती है। इस बीमारी के लक्षणों में पैरों में सूजन, हाथों में सूजन, और जननांगों में सूजन प्रमुख होते हैं। यह बीमारी समाज के गरीब और विकासशील वर्गों के लिए अधिक खतरनाक होती है।
फाइलेरिया के संक्रमण से बचने के लिए नियमित दवा सेवन और मच्छरदानी का उपयोग किया जाता है। इसके अलावा, स्वच्छता बनाए रखना और मच्छरों को पनपने से रोकना भी फाइलेरिया से बचाव के महत्वपूर्ण उपाय हैं।
जागरूकता के महत्व पर जोर:
जिला पदाधिकारी और अन्य अधिकारियों ने बताया कि इस अभियान के द्वारा सिर्फ दवा का सेवन नहीं कराया जा रहा है, बल्कि इस बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने की भी कोशिश की जा रही है। फाइलेरिया की रोकथाम के लिए लोगों को इसके लक्षण, इलाज, और बचाव के तरीके समझाए जा रहे हैं।
सारांश:
सीतामढ़ी जिला प्रशासन द्वारा फाइलेरिया के खिलाफ चलाए गए इस अभियान के अंतर्गत स्वास्थ्य अधिकारियों, शिक्षकों और स्थानीय लोगों के सहयोग से एक व्यापक जागरूकता और दवा सेवन कार्यक्रम चलाया जाएगा। इसके माध्यम से जिले में फाइलेरिया से मुक्त समाज की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। इस अभियान की सफलता जिले में स्वास्थ्य के सुधार की ओर एक सकारात्मक संकेत है और फाइलेरिया जैसी बीमारी को समाप्त करने के लिए यह एक महत्वपूर्ण पहल है।