श्रीमती वंदना प्रेयषी (भा.प्र.से.): पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम!

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पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए बिहार सरकार निरंतर सक्रिय भूमिका निभा रही है। इसी क्रम में, 7 जनवरी 2025 को, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की सचिव, श्रीमती वंदना प्रेयषी (भा.प्र.से.), ने सीतामढ़ी के कोयली मठ तालाब और जानीपुर के बेलमोहन तक पतैली सड़क के किनारे वसंतकालीन वृक्षारोपण कार्यक्रम में भाग लिया। इस दौरान उन्होंने न केवल पौधारोपण किया, बल्कि विभागीय कार्यों की समीक्षा करते हुए महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश भी जारी किए। यह कार्यक्रम पर्यावरण संरक्षण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।


कोयली मठ तालाब में पौधारोपण: हरियाली का संदेश

श्रीमती वंदना प्रेयषी ने कोयली मठ तालाब, नानपुर, सीतामढ़ी में पौधारोपण कर हरियाली का संदेश दिया। यह पहल न केवल पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में सहायक होगी, बल्कि स्थानीय समुदाय को भी पर्यावरण के प्रति जागरूक करेगी। तालाब के चारों ओर लगाए गए पौधे न केवल सौंदर्य बढ़ाएंगे, बल्कि जैव विविधता को भी संरक्षित करेंगे। इस कदम से स्थानीय जलवायु पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।


जानीपुर के बेलमोहन तक पतैली सड़क के किनारे वृक्षारोपण

वृक्षारोपण केवल पर्यावरण संरक्षण का कार्य नहीं है, बल्कि यह एक दीर्घकालिक निवेश है जो आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ वायु, छाया और हरियाली सुनिश्चित करता है। श्रीमती प्रेयषी ने वसंतकालीन वृक्षारोपण कार्यक्रम के तहत जानीपुर के बेलमोहन तक पतैली सड़क के किनारे पौधे लगाए। यह पहल सड़क किनारे हरियाली बढ़ाने और धूल प्रदूषण को कम करने में सहायक होगी।


विभागीय समीक्षा और दिशा-निर्देश

कार्यक्रम के दौरान श्रीमती वंदना प्रेयषी ने पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के तहत चल रहे विभिन्न कार्यों की समीक्षा की। उन्होंने उपस्थित पदाधिकारियों और कर्मचारियों को समयबद्ध तरीके से कार्य पूरा करने के निर्देश दिए। विशेष रूप से, वसंतकालीन वृक्षारोपण को प्राथमिकता देते हुए इसे ससमय पूरा करने पर जोर दिया। उनके दिशा-निर्देश से कार्य में गति और गुणवत्ता सुनिश्चित होगी।


पर्यावरण संरक्षण में वृक्षारोपण का महत्व

वृक्षारोपण पर्यावरण संरक्षण का एक प्रमुख साधन है। यह न केवल कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर को कम करता है, बल्कि मिट्टी के कटाव को रोकने, जल स्रोतों को संरक्षित करने और जैव विविधता को बनाए रखने में भी मदद करता है। बिहार जैसे राज्य में, जहां जलवायु परिवर्तन और वनों की कटाई की समस्याएं बढ़ रही हैं, वृक्षारोपण जैसे कार्यक्रम अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं।


स्थानीय समुदाय की भागीदारी

ऐसे कार्यक्रमों की सफलता में स्थानीय समुदाय की भागीदारी अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। श्रीमती वंदना प्रेयषी ने कार्यक्रम के दौरान स्थानीय लोगों को पर्यावरण संरक्षण के महत्व के बारे में जागरूक किया। उन्होंने सभी से अपील की कि वे पौधों की देखभाल करें और पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान दें।


बिहार सरकार की पर्यावरणीय पहलें

बिहार सरकार पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कई पहल कर रही है। इनमें वृक्षारोपण कार्यक्रम, जल स्रोतों का संरक्षण, और प्रदूषण नियंत्रण प्रमुख हैं। सरकार का उद्देश्य एक हरित और टिकाऊ बिहार का निर्माण करना है।


वसंतकालीन वृक्षारोपण की विशेषता

वसंतकालीन वृक्षारोपण का उद्देश्य उन पौधों को लगाना है जो इस मौसम में तेजी से बढ़ सकते हैं और आने वाले समय में पर्यावरण को लाभ पहुंचा सकते हैं। इस प्रकार के वृक्षारोपण से न केवल हरियाली बढ़ती है, बल्कि यह स्थानीय जलवायु को भी सुधारता है।


भविष्य की योजनाएं और अपेक्षाएं

श्रीमती वंदना प्रेयषी के नेतृत्व में, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग आने वाले समय में और अधिक प्रभावशाली कार्यक्रम शुरू करने की योजना बना रहा है। सरकार की यह पहल एक हरित और स्वच्छ बिहार के निर्माण में सहायक होगी।


निष्कर्ष

श्रीमती वंदना प्रेयषी द्वारा सीतामढ़ी में किए गए वृक्षारोपण और विभागीय दिशा-निर्देश पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं। इन पहलों से न केवल पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में मदद मिलेगी, बल्कि यह समाज में जागरूकता फैलाने का भी कार्य करेगा। इस प्रकार के कार्यक्रम हमें यह सिखाते हैं कि हर नागरिक की जिम्मेदारी है कि वह पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान दे।

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