भारत में VIP सुरक्षा पर खर्च और GST की लूट: क्या देश की वित्तीय प्राथमिकताएँ सही हैं?

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भारत में कर प्रणाली और सरकारी खर्चों को लेकर हमेशा से सवाल उठते रहे हैं। मौजूदा सरकार के कार्यकाल में GST (वस्तु एवं सेवा कर) को लागू करना एक बड़ा कदम माना गया। लेकिन क्या यह कर प्रणाली देश की वित्तीय स्थिरता को मजबूत कर पाई है? या फिर इसके जरिए केवल जनता पर आर्थिक बोझ बढ़ा है? इसके साथ ही, VIP सुरक्षा पर हो रहे भारी खर्च ने भी गंभीर चिंताएँ खड़ी की हैं। इस लेख में, हम इन दोनों मुद्दों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

GST: वादा और वास्तविकता

GST को लागू करने का मुख्य उद्देश्य कर प्रणाली को सरल बनाना और देश के आर्थिक ढांचे को मजबूत करना था। सरकार ने इसे “वन नेशन, वन टैक्स” के रूप में प्रचारित किया। लेकिन इसके लागू होने के बाद से ही यह विवादों में घिरा रहा।

  1. उच्च दरें और जनता पर बोझ ​GST के तहत कई वस्तुओं और सेवाओं पर 28% तक की उच्चतम दरें लगाई गईं। यह गरीब और मध्यम वर्ग के लिए भारी आर्थिक बोझ साबित हुआ।
  2. व्यवसायों पर असर ​छोटे और मध्यम उद्योगों (MSMEs) पर GST की जटिलताओं का भारी असर पड़ा। उन्हें कर रिटर्न दाखिल करने और अनुपालन प्रक्रियाओं में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
  3. राजस्व घाटा ​सरकार ने GST के जरिए राजस्व बढ़ाने की बात कही थी, लेकिन कई राज्यों ने राजस्व घाटे की शिकायत की है। इससे यह सवाल उठता है कि क्या GST वाकई वित्तीय स्थिरता ला पाया है?

देश पर बढ़ता कर्ज़

GST के जरिए अधिक राजस्व जुटाने का दावा करने के बावजूद, भारत को लगातार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कर्ज़ लेना पड़ रहा है। यह स्थिति आर्थिक प्रबंधन पर सवाल खड़े करती है।

  1. कर्ज़ की वजहें ​सरकार के कई खर्च ऐसे हैं जो गैर-जरूरी माने जा सकते हैं। इनमें VIP सुरक्षा और अन्य फिजूलखर्ची शामिल हैं।
  2. विकास कार्यों पर असर ​कर्ज़ का एक बड़ा हिस्सा विकास कार्यों के बजाय प्रशासनिक खर्चों और ब्याज चुकाने में चला जाता है। इससे बुनियादी ढांचे और सामाजिक कल्याण योजनाओं पर असर पड़ता है।

VIP सुरक्षा पर भारी खर्च

भारत में VIP सुरक्षा पर होने वाला खर्च दुनिया के विकसित देशों से कहीं ज्यादा है। यह चिंता का विषय है, खासकर तब जब देश की बड़ी आबादी गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रही हो।

  1. अनुपातहीन खर्च ​रूस 312 लोगों को, अमेरिका 252 लोगों को, और इंग्लैंड जैसे देश केवल चुनिंदा नेताओं और उच्च पदाधिकारियों को VIP सुरक्षा प्रदान करते हैं। इसके विपरीत, भारत में 5,79,092 लोगों को VIP सुरक्षा मिली हुई है।
  2. सुरक्षा का दुरुपयोग ​सुरक्षा का यह दायरा केवल राष्ट्रीय महत्व के व्यक्तियों तक सीमित नहीं है। इसमें कई ऐसे लोग शामिल हैं जो राजनीतिक और सांप्रदायिक कारणों से सुरक्षा प्राप्त कर रहे हैं।
  3. राजनीतिक लाभ और खर्च ​विपक्षी राज्यों में सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं को केंद्रीय बलों की सुरक्षा प्रदान करना राजनीतिक लाभ लेने का एक तरीका बन गया है।

सरकारी प्राथमिकताओं पर सवाल

VIP सुरक्षा और GST से जुड़े मुद्दे यह सवाल खड़ा करते हैं कि क्या सरकार की प्राथमिकताएँ सही दिशा में हैं।

  1. जनता के पैसे का दुरुपयोग ​गरीब और मध्यम वर्ग से वसूले गए कर का बड़ा हिस्सा ऐसे मदों में खर्च हो रहा है जो जनता के हित में नहीं हैं।
  2. पारदर्शिता की कमी ​लोकसभा और राज्यसभा में जब VIP सुरक्षा और अन्य फिजूलखर्ची से जुड़े सवाल उठाए जाते हैं, तो अक्सर सुरक्षा और गोपनीयता के नाम पर उन्हें टाल दिया जाता है।
  3. विकास और कल्याण योजनाओं की अनदेखी ​VIP सुरक्षा और अन्य प्रशासनिक खर्चों के कारण शिक्षा, स्वास्थ्य, और बुनियादी ढांचे के लिए पर्याप्त बजट नहीं बचता।

क्या होना चाहिए?

  1. VIP सुरक्षा की समीक्षा ​VIP सुरक्षा केवल उन लोगों को दी जानी चाहिए जिनकी जान को वास्तविक खतरा हो।
  2. GST प्रणाली में सुधार ​GST की दरों को कम किया जाना चाहिए और इसे सरल बनाया जाना चाहिए ताकि यह छोटे व्यवसायों और आम जनता के लिए लाभकारी हो।
  3. पारदर्शिता और जवाबदेही ​सरकारी खर्चों को लेकर पारदर्शिता सुनिश्चित की जानी चाहिए। जनता को यह जानने का अधिकार है कि उनके कर का उपयोग कहाँ हो रहा है।
  4. विकास कार्यों पर ध्यान ​कर्ज़ का उपयोग केवल विकास परियोजनाओं और सामाजिक कल्याण योजनाओं में किया जाना चाहिए।

निष्कर्ष

GST और VIP सुरक्षा पर खर्च जैसे मुद्दे सरकार की वित्तीय नीतियों और प्राथमिकताओं पर सवाल खड़े करते हैं। एक गरीब और मध्यम वर्गीय देश में, जहाँ बड़ी आबादी बुनियादी सुविधाओं से वंचित है, वहाँ VIP सुरक्षा पर इतना भारी खर्च और GST के जरिए जनता पर बोझ बढ़ाना अस्वीकार्य है।

सरकार को अपनी प्राथमिकताओं पर पुनर्विचार करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जनता का पैसा सही दिशा में उपयोग हो। पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ एक संतुलित और न्यायसंगत वित्तीय प्रणाली ही देश को सच्चे अर्थों में विकास की ओर ले जा सकती है।

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