सीतामढ़ी नगर निगम में नगर आयुक्त द्वारा नगर विकास एवं आवास विभाग, पटना के निर्देशों की अवहेलना और अनियमितताओं के आरोपों ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। यह स्थिति न केवल प्रशासनिक पद्धति को कमजोर कर रही है, बल्कि यह भी संकेत दे रही है कि एक अधिकारी के अधिकारों का दुरुपयोग किस प्रकार से पूरे प्रशासनिक ढांचे को हिला सकता है।
पृष्ठभूमि: निर्देशों का उल्लंघन
नगर विकास एवं आवास विभाग, पटना ने पत्रांक 3008, दिनांक 26.09.2024 और पत्रांक 3410, दिनांक 06.11.2024 के माध्यम से नगर आयुक्त को स्पष्ट निर्देश दिए थे। इन पत्रों में नगर निगम के कार्यों में पारदर्शिता और नियमों के पालन की आवश्यकता पर जोर दिया गया था। लेकिन, इन निर्देशों का पालन न कर, नगर आयुक्त द्वारा की जा रही मनमानी ने प्रशासनिक पद्धति को तार-तार कर दिया है।
अनियमितताओं की प्रकाष्ठा

नगर आयुक्त द्वारा निर्देशों का पालन न करना और मनमाने तरीके से निर्णय लेना, प्रशासनिक प्रक्रिया में गहरी खामियों को उजागर करता है। ऐसा प्रतीत होता है कि नगर आयुक्त, बिहार राज्य से अलग किसी अन्य सत्ता के अधिनायक के रूप में कार्य कर रहे हैं। यह स्थिति न केवल कानून के शासन को कमजोर करती है, बल्कि जनता के विश्वास को भी चोट पहुंचाती है।
जनकल्याण समिति और निविदा प्रक्रिया
नगर विकास विभाग के निर्देशों के अनुसार, नई निविदा प्रक्रिया पूरी होने तक पूर्व में कार्यरत एजेंसी, जनकल्याण समिति, खास महल पटना को कार्य जारी रखने की अनुमति दी जानी चाहिए। लेकिन, नगर आयुक्त द्वारा इस प्रक्रिया को नजरअंदाज कर अन्य एजेंसियों को कार्य सौंपने के प्रयास किए जा रहे हैं। यह न केवल विभागीय निर्देशों का उल्लंघन है, बल्कि यह निविदा प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी को भी दर्शाता है।
प्रशासनिक पद्धति पर प्रभाव
नगर आयुक्त द्वारा अपनाई गई यह कार्यप्रणाली प्रशासनिक पद्धति को कमजोर कर रही है। एक अधिकारी द्वारा निर्देशों की अवहेलना न केवल विभागीय कार्यों को प्रभावित करता है, बल्कि यह पूरे प्रशासनिक ढांचे को भी अविश्वसनीय बनाता है।
समाधान के लिए निवेदन
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, यह आवश्यक है कि नगर विकास एवं आवास विभाग, पटना, नगर आयुक्त को स्पष्ट निर्देश दे और सुनिश्चित करे कि:
- निर्देशों का सख्ती से पालन हो: पत्रांक 3008 और 3410 के निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित किया जाए।
- निविदा प्रक्रिया पारदर्शी हो: नई निविदा प्रक्रिया पूरी होने तक, पूर्व से कार्यरत एजेंसी, जनकल्याण समिति, खास महल पटना को कार्य जारी रखने की अनुमति दी जाए।
- मनमानी पर रोक लगे: नगर आयुक्त की मनमानी और अनियमितताओं की जांच कर, आवश्यक कार्रवाई की जाए।
निष्कर्ष
नगर निगम जैसे संस्थान, जनता की सेवा और उनके कल्याण के लिए बनाए गए हैं। लेकिन, जब इन संस्थानों में अनियमितता और मनमानी का बोलबाला होता है, तो यह न केवल प्रशासनिक प्रक्रिया को कमजोर करता है, बल्कि जनता के विश्वास को भी ठेस पहुंचाता है। नगर विकास एवं आवास विभाग को इस मामले में सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि प्रशासनिक पद्धति को पुनः सुदृढ़ किया जा सके और जनता के हितों की रक्षा हो सके।
इस पूरे प्रकरण में, यह स्पष्ट है कि पारदर्शिता और जिम्मेदारीपूर्ण प्रशासन ही एक बेहतर और विश्वसनीय प्रणाली का आधार हो सकता है।